वजीरगंज गोंडा की बारादरी
गोंडा, वजीरगंज के निकट स्थित ऐतिहासिक धरोहर बारादरी उपेक्षा का शिकार है। यह शराबियों एवं जुआरियों के लिए शरण स्थली बन गई है।
जनपद मुख्यालय से 26 किलोमीटर दूरी पर स्थित बारादरी का निर्माण 1775 से 1795 के
मध्य तत्कालीन अवध के नवाब आसुफद्दौला ने कराया था।
जनपद मुख्यालय से 26 किलोमीटर दूरी पर स्थानीय कस्बे के पास स्थित बारादरी का निर्माण 1775 से 1795 के मध्य तत्कालीन अवध के नवाब आसुफद्दौला
ने कराया था। इसका नाम जमशेदबाग रखा गया। यह लगभग सौ एकड़ में फैली थी। इसकी सुरक्षा के लिए 20 फुट ऊंची व
लगभग चार फुट चौड़ी चहारदीवारी बनाई गई थी। चहारदीवारी की सुरक्षा की दृष्टि से ऐसे मोढे़ बनाए गए थे, जिसके जरिए सैनिक
बाहरी क्षेत्रों पर नजर रखते थे। जरूरत पड़ने पर स्वयं को सुरक्षित रखते हुए बाहरी आक्रमण से आसानी से निपट लेते। उक्त क्षेत्र
अभेद दुर्ग था। चहारदीवारी के अंदर अनेक भवन बने थे जिसमें न्यायालय आदि स्थापित थे। आसपास का क्षेत्र घने पेड़ों से
आच्छादित था। इसमें फलदार वृक्ष थे। नवाब आसुफद्दौला छुट्टियां बिताने इसी सुरक्षित स्थान पर आते थे। यहीं से कुछ दिन
तक राज्य का संचालन करते थे। जनश्रुतियों के अनुसार एक बार जब नवाब अपनी बेगम के साथ छुट्टियां बिताने आए हुए थे,
अचानक उनकी बेगम की तबियत बिगड़ गई। जरूरत है इस ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण की।